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शुक्रवार, 22 जनवरी 2010

जरा मान लो आप सब्जी लेने बाजार गए.वहाँ आपने देखा एक आदमी सब्जी बेच रहा है.
...बगल में ही ताज़ी सब्जियों का ढेर लगा हुआ हो..और बेचनेवाला जोर जोर से आवाज लगा रहा हो.."सब्जी ले लो.सब्जी ले लो."
लेकिन आप ने उसी दुकान से सब्जी ले ली जिससे आप पहले लेना चाहते थे.
और तभी आश्चर्यजनक तरीके से...वो सब्जीवाला और जोर से आवाज लगाने लगे...."भाइयों देखो इस आदमी को .ये आदमी जिस मोहल्ले में रहता है,वो पूरा मोहल्ला हमारी पूरी कौम को ना-पसंद करता है..ये लोग हमारे मोहल्ले का भला होते नही देख सकते..अगर ये हमसे नफ़रत नही करते तो हमारी ही दुकान से सब्जियां खरीदते.आपलोग बताइए,मेरी सब्जियां ताज़ी है,और सस्ती भी...हर जगह हमारी सब्जी के नाम के चर्चे हैं....फिर कैसे कोई इतना जाहिल हो सकता है कि हमारी सब्जियों की तरफ देखे तक नही....अगर ये जनाब हमारी सब्जी खरीद लेते,तो हमारे मोहल्ले के हर घर में घी के दिए जलते....इन्होने हमारी सब्जियों को भाव नही देकर मेरी जन्मभूमि को नीचा दिखने की नापाक कोशिश की है.जरूर इन्होने किसी के दबाव में मेरी सब्जियां नही खरीदी....अब आपलोग ही इन्साफ दिलाओ हमें."
जरा सोचिये,ये मजमा आपकी आँखों के सामने हो...तो उस वक़्त क्या प्रतिक्रिया होगी?
क्या ये उस सब्जीवाले की बेवकूफी है,या गलती आपकी ही है...........
आप सोचते हैं कि,पैसा मेरा...मर्जी मेरी,....खाना मुझे है,मेरी मर्जी जहां से होगी वहाँ से लूँगा....
कुछ ऐसा ही वाकया इन दिनों क्रिकेट की दुनिया में हो रहा है....पकिस्तान के एक भी खिलाड़ी नही बिके आई पी एल में,लो हो गयी आफत..
बौखला गए बेचारे,और ऐसा ऐसा बयान दे डाला जिससे पूरा IPL संदेह के घेरे में खड़ा हो गया.
मैं सोचने लगा यार कल को कहीं शाहिद अफरीदी साहब भारतीय क्रिकेट टीम के कोच बनने के लिए आवेदन दे दें..और नियुक्ति नही होने पर इसे भी राष्ट्रीय सम्मान का मुद्दा बना दें..कि मेरे नाम पे सबसे तेज शतक बनाने का विश्व कीर्तिमान है..और फिर भी मुझे कोच नही बनाया.....क्यूंकि मैं पाकिस्तानी हूँ,और ये लोग एक पाकिस्तानी को अपना कोच स्वीकार नही कर सकते...ये हमारे साथ भाईचारा नही बढ़ाना चाहते,अगर चाहते होते तो मुझे कोच बनाया होता..
हद हो गयी यार......
अब खरीदना ना खरीदना तो टीम मालिकों के ऊपर है,वे जिसे खरीदना चाहते हैं,खरीदेंगे.मुझे नही लगता कि टेस्ट क्रिकेट खेलने वाले किसी भी देश कि सरकार ये सलाह दे कि किसे टीम में चुनो और किसे नही...हाँ पाकिस्तान में ऐसा होता रहा है,लेकिन भारत सरकार के पास क्रिकेट के अलावा भी काफी कुछ काम है....
IPL में टीम अपनी मर्जी के खिलाड़ी खरीदने को स्वतंत्र है,और उसे कोई दबाव नही दे सकता...पैसा उनका है,उनकी मर्जी जिसे खरीदना चाहे.
और IPL तो लगभग पूरी तरह से एक व्यावसायिक आयोजन है....अब अपने पैसो से कोई दूसरों के कहने पे क्यूँ अपना पैसा गलत जगह लगाना चाहेगा?
तो यह तो स्पष्ट है कि इस खेल में खिलाड़ियों की खरीद बिक्री और टीम के तमाम खर्चे मालिकों कि मर्जी पर हैं..
जो खिलाड़ी हल्ला कर रहे हैं,और अपनी हताशा को राष्ट्रीय गौरव का मुद्दा बना रहे हैं...वो सिर्फ और सिर्फ पैसों की वजह से IPL खेलना चाहते हैं....जहां तक भाईचारा और खेल भावना बढाने का सवाल है तो मैदान पर हमेशा यही लगता है दोनों के बीच क्रिकेट युद्ध हो रहा है....और यकीन मानिए पूरे मैच में सिर्फ बनावटी मुस्कान ही चेहरे पे चस्पा रहती है..
इतिहास उठा के देख लीजिये हर भर इन मित्रवत मुकाबलों में हारने वाले पडोसी कप्तान की गर्दन दबोची जाती है.
जितना तनाव खिलाडियों पर भारत-पाक मैच के दौरान रहता है,उतना किसी और के साथ मुकाबले में नही रहता...तो आखिर कौन सा भाईचारे में इजाफा हो गया..
और इतने सालों से हम एक दूसरे के साथ क्रिकेट खेलते रहे लेकिन कोई अमन चैन नही आया.......
तो यह स्पष्ट है की हमारे क्रिकेट खेलने या ना खेलने से दोनों देशों के बीच ना कोई फर्क पडा है और ना कभी पड़ने वाला है.
सिवाय इसके कि मैच के दौरान घटने वाली घटनाएं जरूर बरसो याद रहती हैं....जैसे आमिर सोहेल और वेंकटेश का वाकया,या फिर मियाँदाद-मोरे.
वैसी ये सारी घटनाएं क्रिकेट मैच के माहौल की वजह से हुयी...भाईचारे का इससे कोई लेना देना नही..तो ये तो स्पष्ट है कि क्रिकेट का अपना अलग रोल है...और बाहरी उद्देश्य का इसपर कोई प्रभाव नही तो अगर कुछ पाकिस्तानी खिलाड़ी कुछ करोड़ों में बिक जाते अमन चैन कैसे आ जाता.....जो अब तक ना आ सका..सोचता हूँ,तो हँसीआती है.
वैसे भाइयों आपकी खेलने की ललक को मैं सलाम करता हूँ....लेकिन राष्ट्रीय परिस्थितियाँ भी कुछ हद तक जिम्मेदार होती हैं.....क्रिकेट के लिए पिछली बार लंका टीम ने आपके यहाँ जान की बाजी लगाई,उन्हें सलाम.लेकिन पता नही आपके यहाँ कब कौन सा धमाका हो जाए और आप को बाहर निकलने की मनाही हो जाए,तो बेचारे टीम मालिक अपना सर तो फोड़ने से रहे...
और वैसे भी अफरीदी साहब के नाम सबसे तेज शतक का रिकॉर्ड पिछले १३ सालों से है...और IPL के प्रथम संस्करण में वो बुरी तरह विफल रहे,और कम सितारों से सजी राजस्थान की टीम ही जीती..शोएब साहब भी कोलकाता के लिए सिर्फ सांत्वना देने आये...आसिफ साहब ने तो अपने कैरियर पे ही प्रश्नचिन्ह लगा लिया था.अभी वर्त्तमान में ही देख लीजिये उनकी टीम की हालत को....हर कोई खुद अपनी मर्ज़ी की करने को आतुर है.
जब देश के लिए एक साथ खेलने में इतनी समस्याएं पाकिस्तानी खिलाड़ियों को है,तो शायद कोई यहाँ अपने पैसे से बाजी नही खेलना चाहता...
हर कोई अपना दाँव ठोक बजाकर लगाना चाहता है,तो अगर पहली खरीद में पाकिस्तानी नही बिके तो इतना हल्ला क्यूँ?
ये तो बिलकुल बेवकूफी है अगर कोई कहे कि इसमें किसी प्रकार की कोई भी साजिश है.
मेरा मानना है कि जब तक खेल भावना रहेगी,खेल बढ़ता जाएगा,जब राजनीति आएगी,खेल मर जाएगा.......और बेतुके आरोप लगाने से बेहतर है कि अपने प्रदर्शन पर ध्यान दियाजाए.