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सोमवार, 25 अक्टूबर 2010

कश्मीर बचाओ

कुछ लोग ऐसा मानने लगे हैं कि काश्मीर के बहुमत का मानना है कि कश्मीर को भारत से अलग हो जाना चाहिए....शायद कश्मीर के 'वजीर-ए-आज़म' शेख अब्दुल्ला की संतानें भी इसी स्वर को पुख्ता करने की कोशिश में जुटी हुयी हैं.यूँ तो कश्मीर हिन्दुस्तान का अभिन्न अंग सदियों से रहा है,जिसे कल्हण ने 'राज तरंगिणी' में भी लिखा है,लेकिन बात आधुनिक युग की करते हैं....
काफी दलीलें दी जा रही है कि जब देश आजाद हुआ था तब कश्मीर के राजा हरि सिंह पाकिस्तान में मिलना चाहते थे,लेकिन पाकिस्तान ने उनकी कुछ शर्तों को मानने से इनकार कर दिया,और उल्टा कश्मीर पर हमला बोल दिया,ऐसे समय में हरि सिंह जी ने भारत सरकार से मदद मांगी,जिसे भारत सरकार ने कश्मीर के भारत में विलय की संधि पर हस्ताक्षर करने की शर्त पर  मदद भेजी...और तब से कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है.
यह कहना जरुरी ना होगा कि जब भारत आजाद हुआ तब बहुत से राज्यों ने विलय की संधि पे हस्ताक्षर किये थे,यह देश के पुनर्गठन की एक प्रक्रिया थी और कश्मीर का उदाहरण कुछ अलग नहीं है.
इतिहास गवाह है कि भारत और पकिस्तान आजाद एक साथ ही हुए थे,लेकिन भारत की छवि एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र की रही है,और पाकिस्तान एक मुस्लिम राष्ट्र.
बात कश्मीर की करते हैं,हमारी कश्मीर की धरती से लोगों ने आतंकवाद के खिलाफ जान की बाजी लगाकर लड़ाई की है....और अलग होने की बात कश्मीर का जन-मानस नहीं करता,ऐसे वहाँ के सियासती लूटेरे कराते हैं...भारत ने हमेशा कश्मीर में शांति,वहाँ के लोगों के लिए अमन हेतु कुर्बानी दी है,
हमने कश्मीर पर शुरू से ही जो लचर नीति अपनाई आज उसी का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है.
खैर मैं भी सोचता हूँ कि क्या सच में आजाद कश्मीर खुश-हाल हो जाएगा??
मुझे लगा कि अगर इस सरकार हीन देश ने ऐसा कुछ होने दिया तो कश्मीर का नाश हो जाएगा.
पहली बात तो यह कि उनके पास पर्याप्त सेना बल नहीं है,ऐसी स्थिति में पाकिस्तान से युद्ध की स्थिति में फिर से भारत को ही मदद करनी पड़ेगी.. पाकिस्तान की आर्थिक एवं सामजिक खुश-हाली के बारे में तो शायद सब को पता हो,अगर इस जम्हूरियत के दायरे में कश्मीर भी आ जाये तो क्या अजूबा कर दिखायेंगे....कश्मीर को आजादी देने का सीधा सा मतलब है कश्मीर को पाकिस्तान के हाथों में दे देना,क्यूंकि कश्मीर को अकेला एवं कमजोर देख कर पाकिस्तान उसे हथियाने का कोई मौका नहीं छोड़ेगा.
अगर कश्मीर कोई नया राष्ट्र बनता है तो यह तो पूर्णतया निश्चित है की उसका स्वरुप एक धर्म-निरपेक्ष राज्य का कदापि ना होगा,क्यूंकि वैसे भी चरमपंथियों  ने कश्मीरी पंडितों की जो दशा की है वो किसी से छुपा नहीं है....चरमपंथियों द्वारा कश्मीरी पंडितों के घर जला दिए गए,उन्हें कश्मीर छोड़ने पर मजबूर कर दिया गया.....
श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान क्या जनता भूल गयी?
कश्मीर आजाद होकर खुद की सुरक्षा नहीं कर सकता,ऐसी स्थिति में पूरी तरह पाकिस्तानी चरमपंथी,जिन्होंने पाकिस्तान को इस मुकाम तक पहुचाया है,क्या कश्मीर को यूँ ही छोड़ देंगे?
हम कश्मीर को अमन एवं खुश हाली का प्रतीक बनाना चाहते हैं,लेकिन हमें चरमपंथ की आग को लकड़ियाँ नहीं देनी चाहिए,वरना ये दशकों से झुलस रहे  कश्मीर  को पूरा जला डालेंगे.
कश्मीर की जनता को भारत से अलग होने पर मजबूर किया जाता है...लेकिन जब हमें इसके परिणाम का अंदेशा है,तो फिर जानते हुए भी किसी को आग में झोंक देना कहाँ तक उचित है??
हमें अलगाव-वादी नाग को फन उठाने का मौका नहीं देना चाहिए,और इस विषैले नाग को अतिशीघ्र नाथने की आवश्यकता है,ताकि यह भारत की राष्ट्रीय अस्मिता को डसने का दुस्साहस ना करे.

15 टिप्‍पणियां:

  1. शानदार......
    अगर कश्मीर कोई नया राष्ट्र बनता है तो यह तो पूर्णतया निश्चित है की उसका स्वरुप एक धर्म-निरपेक्ष राज्य का कदापि ना होगा,क्यूंकि वैसे भी चरमपंथियों ने कश्मीरी पंडितों की जो दशा की है वो किसी से छुपा नहीं है....चरमपंथियों द्वारा कश्मीरी पंडितों के घर जला दिए गए,उन्हें कश्मीर छोड़ने पर मजबूर कर दिया गया

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  2. xpsoni में देखे पापा का दिया स्थान =पकिस्तान

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  3. मित्रों आप लोगों की टिप्पणियाँ ही मुझे और लिखने के लिए प्रेरित करती हैं.
    आप सब का बहुत धन्यवाद...मैं अपनी तरफ से आपके सुझावों पर अमल करने की पूरी कोशिश करूँगा ....मेरे ब्लॉग पर आपलोगों का स्वागत है.
    @मित्र सुरेन्द्र जी,मैंने सेटिंग चेक की,लेकिन वहाँ मुझे पता चला की वर्ड वेरिफिकेशन निष्क्रिय किया जा चुका है...आप सब से गुजारिश है की अगर फिर किसी को कमेन्ट करने में तकलीफ हो,तो मुझे खेद रहेगा,लेकिन कृपया कर मुझे इस बारे में सूचित करें...आपके ब्लॉग के दरवाज़े पर जल्द ही दस्तक दूंगा :)

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  4. इस नए और सुंदर से चिट्ठे के साथ आपका हिंदी ब्‍लॉग जगत में स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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  5. शानदार प्रयास बधाई और शुभकामनाएँ।

    एक विचार : चाहे कोई माने या न माने, लेकिन हमारे विचार हर अच्छे और बुरे, प्रिय और अप्रिय के प्राथमिक कारण हैं!

    -लेखक (डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश') : समाज एवं प्रशासन में व्याप्त नाइंसाफी, भेदभाव, शोषण, भ्रष्टाचार, अत्याचार और गैर-बराबरी आदि के विरुद्ध 1993 में स्थापित एवं 1994 से राष्ट्रीय स्तर पर दिल्ली से पंजीबद्ध राष्ट्रीय संगठन-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान- (बास) के मुख्य संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। जिसमें 05 अक्टूबर, 2010 तक, 4542 रजिस्टर्ड आजीवन कार्यकर्ता राजस्थान के सभी जिलों एवं दिल्ली सहित देश के 17 राज्यों में सेवारत हैं। फोन नं. 0141-2222225 (सायं 7 से 8 बजे), मो. नं. 098285-02666.
    E-mail : dplmeena@gmail.com
    E-mail : plseeim4u@gmail.com
    http://baasvoice.blogspot.com/
    http://baasindia.blogspot.com/

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  6. आदरणीय श्री राहुल जी,
    नमस्कार।

    आपने मेरे ब्लॉग पर आकर, अपना बहुमूल्य समय, समर्थन एवं स्नेह प्रदान किया। इसके लिये मैं और भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास) के 4543 आजीवन कार्यकर्ता आपके आभारी हैं। आपका ब्लॉग देखने पर ज्ञात होता है कि आप ब्लॉग के माध्यम से सोये हुए लोगों को झकझोर रहे हैं। बास परिवार की ओर से आपको एवं आपके परिवार को सुख, शान्ति एवं प्रगति की शुभकामनाएँ।

    मैं आपके इस विचार से सहमत हूँ :
    "हम कश्मीर को अमन एवं खुश हाली का प्रतीक बनाना चाहते हैं,लेकिन हमें चरमपंथ की आग को लकड़ियाँ नहीं देनी चाहिए,वरना ये दशकों से झुलस रहे कश्मीर को पूरा जला डालेंगे."

    डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
    0141-2222225, 98285-02666

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  7. आजकल लोग कश्मीर जैसे मुद्दों पर खुलकर बोलने में हिचकते हैं, ऐसे में यह पोस्ट काफी बेहिचक लगी....अच्छी पोस्ट...

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  8. Rhahul realy a factfull thing you indicated in your blog but it is the time when we have to write as well as take action against this corrupt system
    plzz muja facebook ke page YuvaIndia pr join kre ya Ankush Sambyal pr add kre Dhnayabaad
    Vande Matram

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